tag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.comments2023-09-27T16:08:19.869+05:30RAMNIKA FOUNDATION : रमणिका फाऊंडेशनAll india tribal litrery forumhttp://www.blogger.com/profile/12743189761148355701noreply@blogger.comBlogger63125tag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-6624455273164084412014-02-13T20:03:38.505+05:302014-02-13T20:03:38.505+05:30सराहनीय लेख. इससे लेखिका के वास्तविक प्रतिबद्धता क...सराहनीय लेख. इससे लेखिका के वास्तविक प्रतिबद्धता का पता चलता है कि वे लोकतंत्र व्यवस्था की कितनी बड़ी हितैषी हैं. और साथ ही सत्ता में काबिज़ लोगों के साथ-साथ लोकतंत्र में विश्वास रखने वालों को भी चेताती है. यह समस्या लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले कथित लोगों द्वारा ही सृजित है. अब दमन की नीति को अपनाकर और भी विकराल किया जा रहा है. आन्तरिक औपनिवैश्कता की नीति को दमन द्वारा अंजाम देना नीति-निर्धारकों की भारी भूल होगी. अतः भारत की संप्रभुता पर आघात की जिम्मेवारी उन्हें ही कबूलनी होगी. इस लेख के लिए रमणिका जी को बधाई ! Sunder Manoj Hembromhttps://www.blogger.com/profile/01409106766550536782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-7863871444234732772013-09-15T19:49:20.843+05:302013-09-15T19:49:20.843+05:30isme koi shak nahi ki ramanika ji ka kam adbhut ha...isme koi shak nahi ki ramanika ji ka kam adbhut hai.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04384544348089104778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-75335977226503716102013-03-02T23:24:35.245+05:302013-03-02T23:24:35.245+05:30सार्थक विचारसार्थक विचारProf. Dr. Shailendra Kumar sharma प्रो. डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्माhttps://www.blogger.com/profile/00007129570726350343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-45397540282795043252012-12-07T17:19:02.775+05:302012-12-07T17:19:02.775+05:30bhut upyogi vichar haibhut upyogi vichar haiSantosh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/15816454080933275915noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-56877736054381315562012-09-03T17:31:26.377+05:302012-09-03T17:31:26.377+05:30स्त्री का पहला आकर्षण तो सौन्दर्य ही है इसमें कुछ ...स्त्री का पहला आकर्षण तो सौन्दर्य ही है इसमें कुछ बुरा भी नहीं है|Pravin Dubeyhttps://www.blogger.com/profile/06449945130094103554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-992473152808922282012-06-14T11:48:34.693+05:302012-06-14T11:48:34.693+05:30मैंने आपका ब्लॉग पढा. मैं आपसे सहमत हू. आज इस समाज...मैंने आपका ब्लॉग पढा. मैं आपसे सहमत हू. आज इस समाज मे बहोत सारे अन्याय हो रहे, उसे मिटाने के लिये स्त्री-पुरूष सभी साथ आकर बदलने कि कोशिश कर रहे है, स्त्री मुक्ती मैभी पुरूषो का होना जरुरी एवमं महत्वपुर्ण है ऐसा मुझे लगता है.Mad Trishulnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-54306948390210753042012-04-30T19:01:30.713+05:302012-04-30T19:01:30.713+05:30प्रजनन के लिये प्राकृतिक आकर्षण तो होता ही है और य...प्रजनन के लिये प्राकृतिक आकर्षण तो होता ही है और ये जो विशेषतायें आप बतारही हैं कमोबेश प्कृती की ही देन है पर इसे उभार कर उघाड कर पुरुष ने और उसके बहकावे में आकर स्त्री ने भी इसे एक बिकाऊ वस्तू बना दिया है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-33294710323313791562011-10-05T11:07:16.321+05:302011-10-05T11:07:16.321+05:30मैं वर्षा जी बात से पूरी तरह सहमत हूँ. आपकी बातों ...मैं वर्षा जी बात से पूरी तरह सहमत हूँ. आपकी बातों को रखने का तरीका ज़ुरूर तार्किक हैं. जो एक बार पढने वालों को झकझोरता है.<br />मगर ये नजरिया पूरी तरह से सही नहीं है. ये थोडा पूर्वाग्रह से ग्रसित लगता है.<br />आपका अनुभव ज़रूर हम लोगो से ज्यादा है, मगर शायद आपके अनुभव में कडवाहट थोडा ज्यादा है. <br />आज हर क्षेत्र प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ गयी हैं की हर जगह हमें अपने आप को सिद्ध करना पड़ता है. चाहे वो कोई स्त्री हो या पुरुष.<br />यदि आपको कोई smart , handsome और good earning वाला पुरुष चाहिए तो आपको भी उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है.<br />यही बात पुरषों पर भी लागु होती है, यदि आपको कोई beautiful स्त्री चाहिए तो आपको भी उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है.<br />यह बात दोनों को अच्छी तरह मानना और व्यव्हार में लाना होगा की "दोनों एक दुसरे के पूरक है "<br />और बजाय एक बात "एक के बिना दूसरा अधुरा हैं " ये जानना होगा "बजाय दुसरे के मैं अधुरा / अधूरी हूँ."Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/12808782256985509387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-61093198648847840112011-09-30T12:34:18.891+05:302011-09-30T12:34:18.891+05:30दोहरी मानसिकता...
रश्मि सविता के ब्लॉग से लिया गय...दोहरी मानसिकता...<br /><br />रश्मि सविता के ब्लॉग से लिया गया और रमणिका पे ऐसा कॉमेंट ..<br /><br />**************************<br />पर अब जब पूरा कैनवास<br />लेकर बैठती हूँ दिन का<br />तुम्हारा जरा अक्स भी कहीं नहीं,<br />अब इन शफ्कतों का क्या करूँ<br />तुम्हारा होना, तुम्हारी खुशबू<br />जो रह जाएगी पास मेरे यहीं कहीं. <br />******************************Ganesh Prasadhttps://www.blogger.com/profile/07274651568476734391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-12371806510941244832011-09-30T12:29:03.317+05:302011-09-30T12:29:03.317+05:30वर्षा से सहमत हू
आप बड़ी है इसलिए पहले तो आपसे क्...वर्षा से सहमत हू<br /><br />आप बड़ी है इसलिए पहले तो आपसे क्षमा ..!<br />पर आपका लेख सार्थक तब होता जब आप तालिबान मे होती<br /><br />आपने कभी तो सोलह सृंगार किया होगा .. अगर हा तो बताइए किसके लिए ? क्या भाई साहब के लिए ? या किसी और के लिए ? समाज मे बॅलेन्स बना रहने दे आपसे गुज़ारिस है...<br /><br />आपके दिन तो पति के साथ गुजर गये ! दूसरी लड़कियो की भी उनके हक से बंचित ना करे अपने उपदेश देकरGanesh Prasadhttps://www.blogger.com/profile/07274651568476734391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-14912917501741994442011-05-22T03:01:23.979+05:302011-05-22T03:01:23.979+05:30यह बहुप्रतीक्षित अंक आ गया, जानकार हर्ष हुआ. इतना ...यह बहुप्रतीक्षित अंक आ गया, जानकार हर्ष हुआ. इतना भव्य कार्यक्रम और पत्रिका का सार्थक संयोजन दोनों ही महत्वपूर्ण हैं.<br /><br /> रमणिका दीदी की जाने कितनी रातों की नींद और दिन का चैन इस अंक के पन्ने पन्ने में पिरोया गया है. मैं तो स्वयं साक्षी हूँ उनके जी-जान से जुटे होने की. उन्हें हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ.<br /><br /> अंक देखना तो भारत जाने पर, जाने कब संभव होगा... अभी तो बस उत्कंठा ही बनी हुई है. <br /><br />विवरण पढ़कर अत्यंत प्रसन्नता हुई. सभी को पुनः बधाई.Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-59789752866258539512011-03-11T00:48:36.489+05:302011-03-11T00:48:36.489+05:30Sahmat hun aapse..Sahmat hun aapse..Anonymoushttp://meri-parwaz.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-53203059174243481322011-02-28T17:22:21.711+05:302011-02-28T17:22:21.711+05:30स्त्री पुरुष आपस में प्रतिद्वंदी नहीं वरन एक दूसरे...स्त्री पुरुष आपस में प्रतिद्वंदी नहीं वरन एक दूसरे के पूरक हैं<br />aapka lekh jabarjast hai yah alag bat hai ki nari ko kahi na kahi bhogya matra man baith hai aur nari bhi khud bhog ki vastu banna chahti haiअरविन्द शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/12168893689031402386noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-57152384018956567012011-01-22T17:10:05.196+05:302011-01-22T17:10:05.196+05:30आपसे सहमत हैं
विचारणीय पोस्ट
सुन्दर लेखन
आभार ...आपसे सहमत हैं <br />विचारणीय पोस्ट <br />सुन्दर लेखन <br /><br />आभार <br />शुभ कामनाएंCreative Manchhttps://www.blogger.com/profile/06744589000725201971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-84299064713946989572011-01-11T18:05:47.774+05:302011-01-11T18:05:47.774+05:30great thought, great articlegreat thought, great articlejayanti jainhttp://uthojago.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-21293041247665107582011-01-10T20:27:22.877+05:302011-01-10T20:27:22.877+05:30जिस दिन यह सोच निर्मित हो जाएगी, उस दिन स्त्री अप...जिस दिन यह सोच निर्मित हो जाएगी, उस दिन स्त्री अपनी मुक्ति की आधी लडाई जीत लेगी। .....................definitely right....but it will be possible when it will be understand by both sides.meemaanshahttps://www.blogger.com/profile/01448224110676809874noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-43096406057325458442010-12-28T22:27:50.788+05:302010-12-28T22:27:50.788+05:30आपका विश्लेषण तो अच्छा है। पंरतु ये बात सिर्फ औरतो...आपका विश्लेषण तो अच्छा है। पंरतु ये बात सिर्फ औरतो या लड़कियों पर ही लागू नही होती है। पुरूष या लड़के भी इससे पीछे नहीं है। अगर औरते पुरूषों द्वारा बनाए गये मापदडों में अपने आपको तलाश करती है तो मर्द भी अपने आप को औरतों द्वारा बनाए गए मापदडों पर खरे उतरने की कोशिश करता है।Amit Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01787361968548267283noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-53545208454534062232010-11-19T23:40:48.707+05:302010-11-19T23:40:48.707+05:30बात तो सही कही है परन्तु इसे समझने का मदद जनता में...बात तो सही कही है परन्तु इसे समझने का मदद जनता में अभी नहीं है |कपिलhttp://www.kapiljain.co.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-48562372687866160562010-11-04T15:33:36.136+05:302010-11-04T15:33:36.136+05:30माफ़ कीजिये उम्र में आपसे काफी छोटी हूँ पर आपके तज...माफ़ कीजिये उम्र में आपसे काफी छोटी हूँ पर आपके तजुर्बों से निकले इस लेख से असहमत हूँ. स्त्री पुरुष आपस में प्रतिद्वंदी नहीं वरन एक दूसरे के पूरक हैं. यदि स्त्री स्वयं को पुरुष की नज़र से देखती व बदलती है तो पुरुष भी स्वयं को स्त्री द्वारा आकर्षित होने के लिए बहुत कुछ करते हैं जिनमें उन्हें काफी मेहनत व कष्ट भी होता है. वे खुद को शक्तिशाली व बुध्धिमान व अन्य पुरुषों से श्रेष्ठ सिध्ध करने का प्रयास करते हैं. गली गली में खुले जिम्स, फेर एंड हेंडसम क्रीम की बिक्री इत्यादि इस बात की गवाही हैं. <br />यह तो प्रकृति का नियम है की स्त्री पुरुष में आपस में आकर्षण होगा, यह ईश्वर द्वारा बनाया गया मायाजाल है ताकि सृष्टि चलती रहे. <br />आपका लेख स्त्री व पुरुष को अलग अलग कटघरे में खडा करता है. ये लड़ने के लिए नहीं मिलजुल कर रहने के लिए बने हैं. प्रकृति द्वारा दिए गए आकर्षण के सिद्धांत को हम झुठला तो नहीं सकते पर इतना आपको आश्वासन दिलाते हैं की पुरुष भले ही गोरी कोमल काया से आकर्षित हो पर अर्धांगिनी के लिए एक समझदार स्त्री की जरूरत उसे भी महसूस होती है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-82967449222116332152010-09-30T07:50:09.127+05:302010-09-30T07:50:09.127+05:30Nice and impressiveNice and impressiveRohit Kushwahahttps://www.blogger.com/profile/02957922604384771206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-17617846573497572692010-09-21T01:13:50.394+05:302010-09-21T01:13:50.394+05:30pili prishtbhumi ke safed shabd dikh nahi rahe hai...pili prishtbhumi ke safed shabd dikh nahi rahe hain, kripaya badlen.K S Siddharthhttps://www.blogger.com/profile/01783950366597169469noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-71563626569329382452010-09-21T00:43:28.552+05:302010-09-21T00:43:28.552+05:30aurat ko purush dwara nirdharit manko ko nakarna h...aurat ko purush dwara nirdharit manko ko nakarna hoga...K S Siddharthhttps://www.blogger.com/profile/01783950366597169469noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-23701294668894863902010-08-30T23:01:32.491+05:302010-08-30T23:01:32.491+05:30बिल्कुल सच कहा आपने.. स्त्रियों को अपनी सुंदरता अप...बिल्कुल सच कहा आपने.. स्त्रियों को अपनी सुंदरता अपनी नज़र से देखनी चाहिए. आख़िर कब तक वे पुरुषों की साजिशों की शिकार होती रहेंगी. अब तो उन्हें सदियों से बनाए चौखटे ये तोड़ने चाहिए और खूबसूरती की अपनी परिभाषाएं गढ़नी चाहिए, जो सहज, सुंदर और सरल हों.Sumit Singhhttp://www.apnaapnaasman.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-57711818123252753912010-08-18T07:53:02.114+05:302010-08-18T07:53:02.114+05:30संयमित, संतुलित और प्रशंसनीय दृष्टिकोण.संयमित, संतुलित और प्रशंसनीय दृष्टिकोण.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-2320581814154762352010-08-06T18:02:21.071+05:302010-08-06T18:02:21.071+05:30यथार्थपरक विश्लेषणयथार्थपरक विश्लेषणहरिhttp://irdgird.blogspot.comnoreply@blogger.com