tag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post3474548402336730617..comments2023-09-27T16:08:19.869+05:30Comments on RAMNIKA FOUNDATION : रमणिका फाऊंडेशन: पुरुषनिर्मित सौन्दर्यकसौटी पर ही खुद को तोलती है औरतेंAll india tribal litrery forumhttp://www.blogger.com/profile/12743189761148355701noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-75335977226503716102013-03-02T23:24:35.245+05:302013-03-02T23:24:35.245+05:30सार्थक विचारसार्थक विचारProf. Dr. Shailendra Kumar sharma प्रो. डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्माhttps://www.blogger.com/profile/00007129570726350343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-45397540282795043252012-12-07T17:19:02.775+05:302012-12-07T17:19:02.775+05:30bhut upyogi vichar haibhut upyogi vichar haiSantosh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/15816454080933275915noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-56877736054381315562012-09-03T17:31:26.377+05:302012-09-03T17:31:26.377+05:30स्त्री का पहला आकर्षण तो सौन्दर्य ही है इसमें कुछ ...स्त्री का पहला आकर्षण तो सौन्दर्य ही है इसमें कुछ बुरा भी नहीं है|Pravin Dubeyhttps://www.blogger.com/profile/06449945130094103554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-992473152808922282012-06-14T11:48:34.693+05:302012-06-14T11:48:34.693+05:30मैंने आपका ब्लॉग पढा. मैं आपसे सहमत हू. आज इस समाज...मैंने आपका ब्लॉग पढा. मैं आपसे सहमत हू. आज इस समाज मे बहोत सारे अन्याय हो रहे, उसे मिटाने के लिये स्त्री-पुरूष सभी साथ आकर बदलने कि कोशिश कर रहे है, स्त्री मुक्ती मैभी पुरूषो का होना जरुरी एवमं महत्वपुर्ण है ऐसा मुझे लगता है.Mad Trishulnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-54306948390210753042012-04-30T19:01:30.713+05:302012-04-30T19:01:30.713+05:30प्रजनन के लिये प्राकृतिक आकर्षण तो होता ही है और य...प्रजनन के लिये प्राकृतिक आकर्षण तो होता ही है और ये जो विशेषतायें आप बतारही हैं कमोबेश प्कृती की ही देन है पर इसे उभार कर उघाड कर पुरुष ने और उसके बहकावे में आकर स्त्री ने भी इसे एक बिकाऊ वस्तू बना दिया है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-33294710323313791562011-10-05T11:07:16.321+05:302011-10-05T11:07:16.321+05:30मैं वर्षा जी बात से पूरी तरह सहमत हूँ. आपकी बातों ...मैं वर्षा जी बात से पूरी तरह सहमत हूँ. आपकी बातों को रखने का तरीका ज़ुरूर तार्किक हैं. जो एक बार पढने वालों को झकझोरता है.<br />मगर ये नजरिया पूरी तरह से सही नहीं है. ये थोडा पूर्वाग्रह से ग्रसित लगता है.<br />आपका अनुभव ज़रूर हम लोगो से ज्यादा है, मगर शायद आपके अनुभव में कडवाहट थोडा ज्यादा है. <br />आज हर क्षेत्र प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ गयी हैं की हर जगह हमें अपने आप को सिद्ध करना पड़ता है. चाहे वो कोई स्त्री हो या पुरुष.<br />यदि आपको कोई smart , handsome और good earning वाला पुरुष चाहिए तो आपको भी उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है.<br />यही बात पुरषों पर भी लागु होती है, यदि आपको कोई beautiful स्त्री चाहिए तो आपको भी उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है.<br />यह बात दोनों को अच्छी तरह मानना और व्यव्हार में लाना होगा की "दोनों एक दुसरे के पूरक है "<br />और बजाय एक बात "एक के बिना दूसरा अधुरा हैं " ये जानना होगा "बजाय दुसरे के मैं अधुरा / अधूरी हूँ."Saurabhhttps://www.blogger.com/profile/12808782256985509387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-61093198648847840112011-09-30T12:34:18.891+05:302011-09-30T12:34:18.891+05:30दोहरी मानसिकता...
रश्मि सविता के ब्लॉग से लिया गय...दोहरी मानसिकता...<br /><br />रश्मि सविता के ब्लॉग से लिया गया और रमणिका पे ऐसा कॉमेंट ..<br /><br />**************************<br />पर अब जब पूरा कैनवास<br />लेकर बैठती हूँ दिन का<br />तुम्हारा जरा अक्स भी कहीं नहीं,<br />अब इन शफ्कतों का क्या करूँ<br />तुम्हारा होना, तुम्हारी खुशबू<br />जो रह जाएगी पास मेरे यहीं कहीं. <br />******************************Ganesh Prasadhttps://www.blogger.com/profile/07274651568476734391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-12371806510941244832011-09-30T12:29:03.317+05:302011-09-30T12:29:03.317+05:30वर्षा से सहमत हू
आप बड़ी है इसलिए पहले तो आपसे क्...वर्षा से सहमत हू<br /><br />आप बड़ी है इसलिए पहले तो आपसे क्षमा ..!<br />पर आपका लेख सार्थक तब होता जब आप तालिबान मे होती<br /><br />आपने कभी तो सोलह सृंगार किया होगा .. अगर हा तो बताइए किसके लिए ? क्या भाई साहब के लिए ? या किसी और के लिए ? समाज मे बॅलेन्स बना रहने दे आपसे गुज़ारिस है...<br /><br />आपके दिन तो पति के साथ गुजर गये ! दूसरी लड़कियो की भी उनके हक से बंचित ना करे अपने उपदेश देकरGanesh Prasadhttps://www.blogger.com/profile/07274651568476734391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-53203059174243481322011-02-28T17:22:21.711+05:302011-02-28T17:22:21.711+05:30स्त्री पुरुष आपस में प्रतिद्वंदी नहीं वरन एक दूसरे...स्त्री पुरुष आपस में प्रतिद्वंदी नहीं वरन एक दूसरे के पूरक हैं<br />aapka lekh jabarjast hai yah alag bat hai ki nari ko kahi na kahi bhogya matra man baith hai aur nari bhi khud bhog ki vastu banna chahti haiअरविन्द शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/12168893689031402386noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-84299064713946989572011-01-11T18:05:47.774+05:302011-01-11T18:05:47.774+05:30great thought, great articlegreat thought, great articlejayanti jainhttp://uthojago.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-21293041247665107582011-01-10T20:27:22.877+05:302011-01-10T20:27:22.877+05:30जिस दिन यह सोच निर्मित हो जाएगी, उस दिन स्त्री अप...जिस दिन यह सोच निर्मित हो जाएगी, उस दिन स्त्री अपनी मुक्ति की आधी लडाई जीत लेगी। .....................definitely right....but it will be possible when it will be understand by both sides.meemaanshahttps://www.blogger.com/profile/01448224110676809874noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-43096406057325458442010-12-28T22:27:50.788+05:302010-12-28T22:27:50.788+05:30आपका विश्लेषण तो अच्छा है। पंरतु ये बात सिर्फ औरतो...आपका विश्लेषण तो अच्छा है। पंरतु ये बात सिर्फ औरतो या लड़कियों पर ही लागू नही होती है। पुरूष या लड़के भी इससे पीछे नहीं है। अगर औरते पुरूषों द्वारा बनाए गये मापदडों में अपने आपको तलाश करती है तो मर्द भी अपने आप को औरतों द्वारा बनाए गए मापदडों पर खरे उतरने की कोशिश करता है।Amit Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01787361968548267283noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-53545208454534062232010-11-19T23:40:48.707+05:302010-11-19T23:40:48.707+05:30बात तो सही कही है परन्तु इसे समझने का मदद जनता में...बात तो सही कही है परन्तु इसे समझने का मदद जनता में अभी नहीं है |कपिलhttp://www.kapiljain.co.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-48562372687866160562010-11-04T15:33:36.136+05:302010-11-04T15:33:36.136+05:30माफ़ कीजिये उम्र में आपसे काफी छोटी हूँ पर आपके तज...माफ़ कीजिये उम्र में आपसे काफी छोटी हूँ पर आपके तजुर्बों से निकले इस लेख से असहमत हूँ. स्त्री पुरुष आपस में प्रतिद्वंदी नहीं वरन एक दूसरे के पूरक हैं. यदि स्त्री स्वयं को पुरुष की नज़र से देखती व बदलती है तो पुरुष भी स्वयं को स्त्री द्वारा आकर्षित होने के लिए बहुत कुछ करते हैं जिनमें उन्हें काफी मेहनत व कष्ट भी होता है. वे खुद को शक्तिशाली व बुध्धिमान व अन्य पुरुषों से श्रेष्ठ सिध्ध करने का प्रयास करते हैं. गली गली में खुले जिम्स, फेर एंड हेंडसम क्रीम की बिक्री इत्यादि इस बात की गवाही हैं. <br />यह तो प्रकृति का नियम है की स्त्री पुरुष में आपस में आकर्षण होगा, यह ईश्वर द्वारा बनाया गया मायाजाल है ताकि सृष्टि चलती रहे. <br />आपका लेख स्त्री व पुरुष को अलग अलग कटघरे में खडा करता है. ये लड़ने के लिए नहीं मिलजुल कर रहने के लिए बने हैं. प्रकृति द्वारा दिए गए आकर्षण के सिद्धांत को हम झुठला तो नहीं सकते पर इतना आपको आश्वासन दिलाते हैं की पुरुष भले ही गोरी कोमल काया से आकर्षित हो पर अर्धांगिनी के लिए एक समझदार स्त्री की जरूरत उसे भी महसूस होती है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-82967449222116332152010-09-30T07:50:09.127+05:302010-09-30T07:50:09.127+05:30Nice and impressiveNice and impressiveRohit Kushwahahttps://www.blogger.com/profile/02957922604384771206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-71563626569329382452010-09-21T00:43:28.552+05:302010-09-21T00:43:28.552+05:30aurat ko purush dwara nirdharit manko ko nakarna h...aurat ko purush dwara nirdharit manko ko nakarna hoga...K S Siddharthhttps://www.blogger.com/profile/01783950366597169469noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-23701294668894863902010-08-30T23:01:32.491+05:302010-08-30T23:01:32.491+05:30बिल्कुल सच कहा आपने.. स्त्रियों को अपनी सुंदरता अप...बिल्कुल सच कहा आपने.. स्त्रियों को अपनी सुंदरता अपनी नज़र से देखनी चाहिए. आख़िर कब तक वे पुरुषों की साजिशों की शिकार होती रहेंगी. अब तो उन्हें सदियों से बनाए चौखटे ये तोड़ने चाहिए और खूबसूरती की अपनी परिभाषाएं गढ़नी चाहिए, जो सहज, सुंदर और सरल हों.Sumit Singhhttp://www.apnaapnaasman.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-57711818123252753912010-08-18T07:53:02.114+05:302010-08-18T07:53:02.114+05:30संयमित, संतुलित और प्रशंसनीय दृष्टिकोण.संयमित, संतुलित और प्रशंसनीय दृष्टिकोण.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-2320581814154762352010-08-06T18:02:21.071+05:302010-08-06T18:02:21.071+05:30यथार्थपरक विश्लेषणयथार्थपरक विश्लेषणहरिhttp://irdgird.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-58514849927773450602010-08-02T14:19:51.595+05:302010-08-02T14:19:51.595+05:30Bahut hi sateek vislashn kiya aapne Sachmuch aap B...Bahut hi sateek vislashn kiya aapne Sachmuch aap Badhayi ki patr hai. kintu kisi stree me ye gun kaise samahit kiye gay.<br />mere drastikon se aapki soch ko prattyek stree ko sweekar karna chahiye.lekin ho iska ulta raha hai.<br />aapke vicharo ka kaise palan karaya jay.<br />bat wahi ki wahi atak gayi.<br />is bare me bhi apne unmukt vichar de.<br /><br />DHanywadAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-83978914146200157002010-07-24T09:22:23.542+05:302010-07-24T09:22:23.542+05:30निसंदेह नारी की परम शत्रु नारी है .सत्य यह है जनम ...निसंदेह नारी की परम शत्रु नारी है .सत्य यह है जनम से ही लड़की को ये सिखानेवाली माँ ही होती है, उसको अपने लिए नहीं सबके लिए सोचना है फिर उसकी ये मानसिकता बन जाती है क्योंकि ये संस्कार उसको घुट्टी में मिले हैं. पुरुषप्रधान समाज होने के कारण प्रत्येक गतिबिधि पुरुष पैर आकर अटकती है चाहे पुरुष का स्वरुप पिता का हो,भाई का हो,पति प्रेमी या फिर पुत्र का (अपवाद सदा रहते हैं)<br /> विरोधी लिंग के प्रति प्राकृतिक मोह भी एक कारण होता है यही कारण है की बहन का भाई के प्रति, पुत्री का पिता के प्रति विशिष्ट मोह रहता है ,यही कारण मेरे विचार से नारी को स्वयं की पसंद नापसंद केसम्बन्ध में सोचने की आदत का समाप्त होनाNisha Mittalhttps://www.blogger.com/profile/08247446882738123648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-23274609927068365372010-07-04T15:01:39.973+05:302010-07-04T15:01:39.973+05:30सन्तान का मोह भी स्त्री को गुलाम बनाता है। ऐसा लगत...सन्तान का मोह भी स्त्री को गुलाम बनाता है। ऐसा लगता है जैसे स्त्री ने ही सारी ममता का ठेका ले रखा है। पुरुष क्यों नहीं सन्तान के मोह में पडता? वह भी तो पिता होता है। सारा दायित्व औरत पर ही क्यों ? ये प्रश्न जवाब खोजते हैं। <br /><br /><br />is prasn ka koi javab gar kabhi mile to hume bhi bataiyega plz hum bhi ye soch soch kar pareshan rahte h ki maa ko apne baccho ki buraiyan bhi kyu nahi dikhti mamta m . <br /><br />plz remove the word varification .comment dene m dikkat hoti hनिर्झर'नीरhttps://www.blogger.com/profile/16846440327325263080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-38209211707998988592010-06-22T11:34:43.438+05:302010-06-22T11:34:43.438+05:30sehmat hai aapke kehneke saath.sehmat hai aapke kehneke saath.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-91258877737079243022010-06-21T11:55:29.216+05:302010-06-21T11:55:29.216+05:30सटीक विश्लेषण किया आपने . पहले नारी आसपास के लोगों...सटीक विश्लेषण किया आपने . पहले नारी आसपास के लोगों से प्रभावित होती थी अब टीवी सिरियल और विज्ञापन से . जिसमें यही सब भावनाएँ उभारी जाती है शरीर और सौंदर्य का दुरुपयोग . विज्ञापन किसी भी वस्तु का हो नारी को उसमें डाल कर उत्पाद का आकर्षण बढ़ाने का भ्रम पैदा किया जाता हैडॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1474781985302747627.post-12307797190442107192010-06-19T01:30:45.796+05:302010-06-19T01:30:45.796+05:30आपके विचार प्रसंशनीय है. कितु आम विचारो से काफी उठ...आपके विचार प्रसंशनीय है. कितु आम विचारो से काफी उठकर है . आज के दौर की आम नारी जो ४० की उम्र से कम है वे ६५ की उम्र के आसपास आपके विचारो में स्वतः ढल जाने की संभावनाओ के करीब हो सकती है !.संजय पाराशरhttps://www.blogger.com/profile/04828183013579900184noreply@blogger.com